जल्द ही भारतीय रेलवे की वंदे भारत एक्सप्रेस बेंगलुरु-चेन्नई रूट को मात्र चार घंटे में पूरा करेगी, जो कि वर्तमान समय से 25 मिनट तेज़ होगा।
शताब्दी एक्सप्रेस भी इस रूट पर 20 मिनट का समय बचाएगी। यह संभव होगा हाल ही में की गई गति सीमा में सुधार की वजह से, जो दक्षिण पश्चिम रेलवे (SWR) के व्यापक प्रयासों का हिस्सा है।
गति सीमा में सुधार
5 दिसंबर को बेंगलुरु डिवीजन ने बेंगलुरु-जोलारपेट्टाई सेक्शन पर स्पीड ट्रायल किया, जिसमें गति सीमा को 110 किमी/घंटा से बढ़ाकर 130 किमी/घंटा करने की संभावना का मूल्यांकन किया गया। नई गति सीमा को रेलवे सुरक्षा आयुक्त से मंजूरी मिलने के बाद लागू किया जाएगा।
चेन्नई-जोलारपेट्टाई सेक्शन पहले ही 130 किमी/घंटा की गति सीमा को संभालने में सक्षम है, और यह अपग्रेड पूरे बेंगलुरु-चेन्नई रूट को समान रूप से तेज़ बना देगा।
किन ट्रेनों को होगा लाभ?
गति सीमा में सुधार का लाभ इस रूट पर रोजाना चलने वाली दो वंदे भारत और दो शताब्दी ट्रेनों को मिलेगा। यह मार्ग अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह बेंगलुरु के तकनीकी और स्टार्टअप केंद्रों को चेन्नई के ऑटोमोटिव मैन्युफैक्चरिंग और औद्योगिक क्षेत्रों से जोड़ता है।
नई वंदे भारत स्लीपर ट्रेनें
वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का पहला प्रोटोटाइप तैयार कर लिया गया है, जो जल्द ही फील्ड ट्रायल के लिए जाएगा।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद को जानकारी दी कि लंबी और मध्यम दूरी की यात्राओं के लिए योजना बनाई गई इन स्लीपर ट्रेनों में आधुनिक सुविधाएं और यात्री सुविधाएं शामिल हैं।
इन ट्रेनों की प्रमुख विशेषताओं में शामिल हैं:
- कवच नामक स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली।
- नवीनतम अग्नि-सुरक्षा मानकों का पालन।
- ऊर्जा दक्षता के लिए पुनर्योजी ब्रेकिंग सिस्टम।
- उच्च औसत गति और तेज़ी से रुकने व चलने की क्षमता।
- झटके रहित यात्रा के लिए उन्नत युग्मक और एंटी-क्लाइम्बर्स।
वंदे भारत नेटवर्क का विस्तार
अगस्त में, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक में तीन नई वंदे भारत ट्रेनें जोड़ी गईं। अब 100 से अधिक वंदे भारत ट्रेनें 280 से अधिक जिलों को जोड़ रही हैं।